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लक्षद्वीप में PM मोदी vs राजीव गाँधी: ‘फैमिली टूर’ युद्धपोत से, 36 साल में सरकारी तंत्र में बदलाव

राजीव गाँधी की लक्षद्वीप में परिवारिक यात्रा

उनकी इस ट्रिप पर इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टुडे ने स्टोरी की थी, जिसका मीडिया संस्थानों को भुगतना पड़ा। इंडियन एक्सप्रेस के दफ्तर तो कई बार रेड पड़ा। वहीं संस्थान पर कस्टम ड्यूटी से बचने जैसे फर्जी आरोप लगाए गए। दफ्तर के बाहर दिल्ली पुलिस सीआरपीएफ के सिपाही तैनात किए गए।

इस प्रताड़ना का कारण बस ये था कि इंडियन एक्सप्रेस ने उनकी इन छुट्टियों पर कार्टून के जरिए सवाल किया था। कार्टून में राजीव गाँधी नारियल के पेड़ के नीचे बैठकर नारियल पी रहे थे और कह रहे थे,“Ah! To get away from it all!” और देश उनसे पूछ रहा था “कब?”

इसी तरह इंडिया टुडे की अनिता प्रताप ने भी राजीव गाँधी की इस ट्रिप पर स्टोरी की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि गाँधी परिवार की इस ट्रिप के लिए शराब ट्वीप की राजधानी में पहुँचाई गई थी। इसके अलावा 100 चिकन से भरा एक पोल्ट्री फार्म सेट हुआ था। मछलियों के साथ वहाँ द्वीप के ताजे फल जैसे पपीता, छोटे पीले केला, अमरूद भेजे गए थे। मक्खन और ब्रेड गई थी। कोल्डड्रिंप की 40 क्रेट, 300 मिनरल वाटर की बोतल, अमूल चीज, नींबू पानी आदि चीजें गई थीं।

राजीव गाँधी की इस ट्रिप का आयोजन 26 दिसंबर 1987 से 6 जनवरी 1988 तक किया गया था। इस ट्रिप में राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गाँधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, उनकी विधवा माँ आर. मैनो, उनके भाई और एक मामा शामिल थे। साथ ही पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया और उनके बच्चे अभिषेक और श्वेता भी मौजूद थे। अमिताभ के भाई अजिताभ की बेटी, जिनकी विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के संदिग्ध उल्लंघन के लिए जाँच की जा रही थी, वह भी साथ में गई थी। इसके अलावा अन्य भारतीय मेहमानों में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह की पत्नी और बेटी थीं। और दो अन्य विदेशी मेहमान भी शामिल थे।

1998 और 2024 के बीच तुलना करते हुए

इसी कारण सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी के फोटो शेयर करने के बाद एक नरेंद्र मोदी ऐसा लग रहा है जो लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता है जबकि एक राजीव गाँधी ने इसे अपने व्यक्तिगत पिकनिक स्पॉट की जगह बना दी थी।

जानते हैं कि 1950 में ही भारतीय नौसेना की संपत्ति का दुरुपयोग करने की परंपरा जवाहरलाल नेहरू के साथ शुरू हुई थी। जब एडविना की मृत्यु 1960 में हुई तो सरकारी खर्चे पर नेहरू ने भारतीय नौसेना के फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल को एस्कॉर्ट के रूप में भेजा। जब उनका शोक संतप्त परिवार हट गया, तो भारतीय फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल उस जगह पर आया और नेहरू के निर्देशों के अनुसार मैरीगोल्ड के फूलों से उस पूरे एरिया को आच्छादित कर दिया गया।

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