Recently, I had the opportunity to be among the people of Lakshadweep. I am still in awe of the stunning beauty of its islands and the incredible warmth of its people. I had the opportunity to interact with people in Agatti, Bangaram and Kavaratti. I thank the people of the… pic.twitter.com/tYW5Cvgi8N
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2024
राजीव गाँधी की लक्षद्वीप में परिवारिक यात्रा
A tale of two Prime Ministers in Lakshadweep — Rajiv Gandhi 1988 & Narendra Modi 2024. pic.twitter.com/dm5yZACfAt
— Shiv Aroor (@ShivAroor) January 4, 2024
राजीव गाँधी की इस ट्रिप का आयोजन 26 दिसंबर 1987 से 6 जनवरी 1988 तक किया गया था। इस ट्रिप में राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गाँधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, उनकी विधवा माँ आर. मैनो, उनके भाई और एक मामा शामिल थे। साथ ही पूर्व सांसद अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया और उनके बच्चे अभिषेक और श्वेता भी मौजूद थे। अमिताभ के भाई अजिताभ की बेटी, जिनकी विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के संदिग्ध उल्लंघन के लिए जाँच की जा रही थी, वह भी साथ में गई थी। इसके अलावा अन्य भारतीय मेहमानों में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह की पत्नी और बेटी थीं। और दो अन्य विदेशी मेहमान भी शामिल थे।
1998 और 2024 के बीच तुलना करते हुए
इसी कारण सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी के फोटो शेयर करने के बाद एक नरेंद्र मोदी ऐसा लग रहा है जो लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता है जबकि एक राजीव गाँधी ने इसे अपने व्यक्तिगत पिकनिक स्पॉट की जगह बना दी थी।
One wants to grow tourism n the last was….. pic.twitter.com/rXWGaQJMW0
— Ravish (@1982ravish) January 4, 2024
One PM in the year 1988 used Lakshadweep islands for family tourism by using Nation’s resources:India Navy erstwhile Aircraft carrier INS Virat for a personal holiday !!
Other PM in 2024 showing the Undiscovered gem to the World & to our Indians as a tourist destination pic.twitter.com/Is5OnUef7E
— LR SAHU 🇮🇳 (@lrsahu09) January 4, 2024
जानते हैं कि 1950 में ही भारतीय नौसेना की संपत्ति का दुरुपयोग करने की परंपरा जवाहरलाल नेहरू के साथ शुरू हुई थी। जब एडविना की मृत्यु 1960 में हुई तो सरकारी खर्चे पर नेहरू ने भारतीय नौसेना के फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल को एस्कॉर्ट के रूप में भेजा। जब उनका शोक संतप्त परिवार हट गया, तो भारतीय फ्रिगेट आईएनएस त्रिशूल उस जगह पर आया और नेहरू के निर्देशों के अनुसार मैरीगोल्ड के फूलों से उस पूरे एरिया को आच्छादित कर दिया गया।